आगरा के किसानों के लिए हल्दी की खेती से एक नई उम्मीद जागी है। यदि किसान हल्दी की खेती अपनाते हैं, तो वे सालाना लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं। आगरा में हल्दी की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान किया जा रहा है। आरबीएस कॉलेज कृषि संकाय बिचपुरी के उद्यान विज्ञान विभाग की पीएचडी शोध छात्राओं, हेमा सोलंकी और ज्योति दिवाकर ने हल्दी की खेती की संभावनाओं और चुनौतियों पर विस्तृत अध्ययन किया।
शोध के दौरान, छात्रों ने बिचपुरी कृषि फार्म में 429.5 वर्गमीटर क्षेत्र में हल्दी की खेती की और 5.24 क्विंटल उपज प्राप्त की। शोध में यह पाया गया कि हल्दी की औसत उपज 20-30 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है, जो इसे एक उच्च पैदावार वाली फसल बनाता है।
हालांकि, हल्दी की खेती में कुछ चुनौतियां हैं, जैसे आगरा क्षेत्र में पानी की कमी। लेकिन, ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों के जरिए इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
प्रो. ज्ञानेंद्र सिंह और डॉ. ब्रजेश कुमार चतुर्वेदी ने इस अनुसंधान की सराहना की और आगरा क्षेत्र में जैविक हल्दी की खेती के लिए बड़े अवसरों की संभावना जताई। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विजय श्रीवास्तव ने भी इस शोध कार्य की सराहना की है।