असम : चिराजुली के डॉन बस्को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रशासन की लापरवाही के कारण 47 मेधावी छात्र-छात्राएं इस बार हाई स्कूल शिक्षांत परीक्षा के प्रवेश पत्र से लगभग वंचित होने की स्थिति में पहुंच गए थे। इस घटना ने स्कूल के अभिभावकों और स्थानीय समाज में गहरी नाराजगी और चिंता उत्पन्न की। इस मुद्दे को लेकर बीते 9 दिनों से क्षेत्र के विभिन्न संगठनों और अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन पर दबाव बनाया।
स्कूल प्रशासन की ओर से समय पर आवश्यक दस्तावेज परीक्षा बोर्ड को न भेजने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई। मैट्रिक परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के नाम परीक्षा बोर्ड की अंतिम सूची में शामिल नहीं होने से अभिभावकों के बीच भय और तनाव का माहौल बना।
छात्रों की इस समस्या को लेकर जब खबरें मीडिया में प्रसारित हुईं, तो राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक सिंहल ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मामले की जांच कर समाधान के लिए कदम उठाए। शिक्षा मंत्री के प्रयासों से मात्र 9 दिनों के भीतर छात्रों के प्रवेश पत्र की समस्या का समाधान हुआ।
आज, 24 जनवरी को, चिराजुली के डॉन बस्को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक सादे समारोह के माध्यम से मैट्रिक परीक्षा के प्रवेश पत्र वितरित किए गए। शिक्षा मंत्री अशोक सिंहल ने स्वयं उपस्थित होकर 47 छात्रों को उनके प्रवेश पत्र सौंपे। उन्होंने छात्रों को परीक्षा के लिए प्रोत्साहन और प्रेरणा भी दी।
इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री अशोक सिंहल ने कहा, “यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि समस्या का समाधान कर लिया गया है, लेकिन मैं स्कूल प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। छात्रों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।” उन्होंने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार सख्त कदम उठाएगी।
शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप और समस्या के समाधान के बाद अभिभावकों ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, “हमारे बच्चों को परीक्षा में बैठने का मौका फिर से मिलना हमारे लिए बेहद राहत की बात है। लेकिन स्कूल प्रशासन की यह लापरवाही बहुत शर्मनाक है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं होगा।”
47 छात्रों ने एडमिट कार्ड प्राप्त कर राहत की सांस ली। एक छात्र ने कहा, “इस घटना ने हमें बहुत चिंतित कर दिया था। आज एडमिट कार्ड पाकर हम बेहद खुश हैं। हम शिक्षा मंत्री को धन्यवाद देते हैं।”
यह घटना छात्रों के भविष्य और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी पर एक गहरा प्रश्न उठाती है। हालांकि समस्या का समाधान किया गया है, लेकिन स्कूल प्रशासन की लापरवाही छात्रों के भविष्य के प्रति अधिक सतर्कता और योजनाबद्ध व्यवस्था की आवश्यकता की ओर संकेत करती है।
विशेष रिपोर्ट: 24 जनवरी – पंकज कुमार नाथ (शोणितपुर, असम)।