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महाकुंभ में डुबकी लगाने से गरीबी बेरोजगारी दूर नहीं होगी। यह गरीबों का शोषण है।

क्या कांग्रेस ऐसा अधर्मी बयान किसी दूसरे धर्म की परंपरा पर दे सकती है?

आखिर कांग्रेस को सनातन धर्म से इतनी चिढ़ क्यों हैं?

27 जनवरी को कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के महू में संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की जन्मस्थली पर एक राजनीतिक आयोजन किया। इस आयोजन में लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर अधर्मी वाला बयान दिया है। खडग़े ने कहा कि महाकुंभ में गंगा नदी में स्नान करने से गरीब और बेरोजगारी दूर नहीं होगी। महाकुंभ में स्नान करने को खडग़े ने गरीबों के शोषण से जोड़ दिया। कांग्रेस ने ऐसा बयान तब दिया है, जब सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोग प्रयागराज में गंगा स्नान कर रहे हैं। सनातनियों के लिए यह गर्व की बात है कि 144 वर्ष में एक बार होने वाले इस महाकुंभ में स्नान करने का अवसर मिल रहा है। भारत में सनातन धर्म को मानने वालों की संख्या सौ करोड़ से भी ज्यादा है। अधिकांश सनातनी चाहते हैं कि इस महाकुंभ में भाग लिया जाए। ऐसा हो भी रहा है। 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ में पचास करोड़ से भी ज्यादा सनातनी भाग लेंगे। जब पूरे देश में महाकुंभ की धूम मची हुई है, तब महाकुंभ को लेकर कांग्रेस अधर्मी वाला बयान दे रही है। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस ऐसा धर्मी बयान किसी दूसरे धर्म की परंपराओं पर दे सकती है? जिन धार्मिक परंपराओं पर निर्वाह महाकुंभ में हो रहा है, ऐसी परंपराएं दूसरे धर्मों में प्रतिवर्ष होती है। क्या कांग्रेस के किसी नेता में दूसरे धर्म की परंपराओं पर ऐसी टिप्पणी करने की हिम्मत है? यदि कांग्रेस का कोई नेता सनातन धर्म को छोड़कर अन्य किसी धर्म के बारे में ऐसी टिप्पणी करे तो उसका सिर तन से जुदा कर दिया जाएगा। यह सनातन धर्म की विशालता ही है कि ऐसे अधर्मी विचारों के बाद भी कांग्रेस के लोकसभा में 100 सांसद है और कर्नाटक, तेलंगाना व हिमाचल में सरकारें बनी हुई है। कांग्रेस भले ही सनातन को लेकर अधर्मी विचार रखती हो, लेकिन फिर भी लाखों सनातनी कांग्रेस को वोट देते ही है। जहां तक बेरोजगारी और गरीबी का सवाल है तो आज भारत में गरीब परिवारों को निशुल्क मकान, और भोजन की सुविधा उपलब्ध है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को यत पता होना चाहिए कि देश के 81 करोड़ व्यक्तियों को प्रतिमाह पांच किलो अनाज मुफ्त में मिल रहा है। जिस महाकुंीा पर अधर्मी टिप्पणी की जा रही है, उसी महाकुंभ से करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि प्रयागराज के महाकुंभ की वजह से अयोध्या, काशी, पुष्कर, उज्जैन, खाटू श्याम, सालासर जैसे धार्मिक स्थलों पर इतनी भीड़ होगी। जब करोड़ों लोग किसी स्थान पर पहुंचते हैं तो लाखों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होता है। गरीबी और बेरोजगारी को सनातनियों की धार्मिक भावनाओं में जोड़ने से पहले कांग्रेस को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को भी पढ़ना चाहिए। मकान और अनाज के साथ साथ बिजली पानी तक की सुविधाएं मुफ्त में मिल रही है।

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