
राजस्थान के कोटपूतली के किरतपुरा क्षेत्र की बड़ियाली ढाणी में 23 दिसंबर को तीन साल की मासूम चेतना खेलते समय 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को मौके पर भेजा। बच्ची को बचाने के लिए लगातार 10 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। हालांकि, चेतना को बचाने में सफलता नहीं मिल सकी, और एक जनवरी को उसका शव बोरवेल से बाहर निकाला गया। 23 दिसंबर को चेतना 150 फीट की गहराई पर फंसी थी। शुरुआती प्रयासों में उसे 30 फीट ऊपर खींचा गया, लेकिन इसके बाद स्थानीय जुगाड़ असफल रहा। प्रशासन ने इसके बाद बोरवेल के समानांतर 170 फीट गहरा गड्ढा खोदने का निर्णय लिया। गुरुग्राम से पाइलिंग मशीन मंगवाई गई और एक सुरंग बनाई गई। रेस्क्यू अभियान के दौरान टीमों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सुरंग खोदते समय पत्थरों की बाधा आई, जिसे हटाने के लिए कंप्रेसर मशीन और माइनिंग एक्सपर्ट बुलाए गए। 31 दिसंबर तक सुरंग की खोदाई गलत दिशा में चली गई, जिससे समय की बर्बादी हुई। आखिरकार, एक जनवरी को जीपीआर मशीन की मदद से बोरवेल की सही लोकेशन ट्रेस कर चेतना को बाहर निकाला गया। लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चेतना की मौत हो गई, जिससे उसके परिवार और पूरे गांव में मातम छा गया। चेतना को बचाने में प्रशासन और रेस्क्यू टीम ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन तकनीकी समस्याओं और देरी के कारण बच्ची की जान नहीं बचाई जा सकी। इस घटना ने खुले बोरवेल के खतरों को एक बार फिर उजागर किया है।