फतेहपुर शेखावाटी : राजस्थान में इस बार की सर्दी ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कई इलाकों में तापमान -5.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। ऐसे में किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए जबरदस्त संघर्ष कर रहे हैं। भास्कर की टीम ने ऐसे किसानों की कहानी को करीब से जाना, जो बर्फीली हवाओं के बीच भी रात 3 बजे उठकर अपनी फसलों को पानी देने के लिए खेतों में पहुंचते हैं।
चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जैसे इलाकों में कड़ाके की ठंड ने खेती की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। ठंडी हवाओं के चलते खेतों में पानी तक जम जाता है। किसान फसल को पाले से बचाने के लिए हर रात पानी देने का काम कर रहे हैं, क्योंकि यह एकमात्र तरीका है जिससे फसल की नमी और जीवन बचाई जा सकती है।
श्रीगंगानगर के एक किसान ने बताया कि उन्हें हर रात अलार्म लगाकर उठना पड़ता है। कई बार हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं, लेकिन फसल का नुकसान रोकने के लिए यह काम करना मजबूरी है। उन्होंने कहा, “अगर पानी नहीं दिया तो फसल खराब हो जाएगी, और हमारे पास पहले से ही बहुत सीमित संसाधन हैं।”
कुछ किसानों ने यह भी बताया कि फसलों की देखभाल के लिए उन्हें खुद बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ठंड में लंबे समय तक खेतों में काम करने से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके बावजूद, उनके पास कोई और विकल्प नहीं है।
इस समय खेतों में मुख्य रूप से सरसों, गेंहू और चने की फसलें लगी हुई हैं। पाला पड़ने से इन फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। किसान सरकारी मदद की भी मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार ठंड में फसल बचाने के लिए कोई खास योजना लागू करे या उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए।
इसके अलावा, बर्फीली हवाओं के कारण ग्रामीण इलाकों में जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। स्कूलों को ठंड के कारण बंद कर दिया गया है, और बिजली की अनियमितता ने समस्या को और बढ़ा दिया है।
इस कड़ाके की ठंड में किसान न केवल अपनी फसलों के लिए लड़ रहे हैं, बल्कि अपने परिवार और मवेशियों के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, उनकी मेहनत और दृढ़ता सराहनीय है।
राजस्थान में यह सर्दी न केवल मौसम का रिकॉर्ड बना रही है, बल्कि किसानों के संघर्ष और उनके अदम्य साहस की कहानी भी बयां कर रही है।