हरियाणा सरकार के एक सीक्रेट दस्तावेज के लीक होने से प्रशासन में हड़कंप मच गया है। 14 जनवरी की इस खुफिया रिपोर्ट में 370 पटवारियों को भ्रष्ट बताया गया है। सरकार का दावा है कि ये पटवारी पैमाइश, इंतकाल, रिकॉर्ड ठीक करने और नक्शा पास कराने के बदले रिश्वत लेते हैं। इनमें से 170 पटवारी ऐसे हैं, जिन्होंने निजी सहायक रखे हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ पटवारियों ने अपने घरों में निजी कार्यालय खोल रखे हैं, जहां सहायक लोगों से काम के बदले रिश्वत वसूलते हैं। इस लिस्ट में नाम के साथ जाति का भी जिक्र है। राजस्व विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को लिस्ट भेजकर 15 दिन के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
पटवार एसोसिएशन ने लिस्ट पर सवाल उठाए हैं। अध्यक्ष बलबीर सिंह ने कहा कि रिपोर्ट का आधार स्पष्ट नहीं है और यह जरूरी नहीं कि सभी नाम सही हों। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने कहा कि दोष सिद्ध हुए बिना किसी को भ्रष्ट कहना कानूनन गलत है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दोषी पाए जाने पर संबंधित पटवारियों को 4 से 20 साल की सजा और बर्खास्तगी हो सकती है। हालांकि यह भी सवाल उठ रहे हैं कि सिर्फ लिस्ट जारी करने से भ्रष्टाचार पर कैसे लगाम लगेगी।